बहुविषयक मेटाबोलिक हेल्थ और मोटापा क्लिनिक से 345 मरीज हुए लाभान्वित
ऋषिकेश(अंकित तिवारी)। मोटापा और चयापचय संबंधी विकारों से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत की खबर है। एम्स ऋषिकेश में संचालित बहुविषयक मेटाबोलिक हेल्थ और मोटापा क्लिनिक अब मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। गत वर्ष से संचालित इस क्लिनिक का औपचारिक शुभारंभ एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह, संकायाध्यक्ष (अकादमिक) प्रो. जया चतुर्वेदी और चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्य श्री ने संयुक्त रूप से किया।
इस अवसर पर नेत्ररोग विभागाध्यक्ष प्रो. संजीव कुमार मित्तल सहित कई फैकल्टी सदस्य मौजूद थे।
इस अवसर पर निदेशक एम्स प्रो. मीनू सिंह ने विभिन्न विभागों से जुड़ी इस चिकित्सा को मरीजों के लिए सुविधाजनक बनाने के लिए चिकित्सकीय टीम की सराहना की। उन्होंने इस बीमारी को वर्तमान समय की सबसे गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बताते हुए ऐसे मरीजों के लिए क्लिनिक की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।
डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने इस पहल की प्रशंसा की व बताया कि विभिन्न विभागों की सहमति से संचालित की जा रही क्लिनिक रोगियों के लिए लाभप्रद साबित हो रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह क्लिनिक मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, फैटी लीवर रोग और स्लीप एपनिया जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों के उपचार में सहायक बन रही है। अब तक 345 मरीजों को इस क्लिनिक से लाभ मिल चुका है, जिनमें से 51.88% मरीज उत्तराखंड से रहे हैं, जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से भी मरीज विशेष उपचार के लिए यहां आ रहे हैं।
मल्टीडिसिप्लिनरी ट्रीटमेंट: एक छत के नीचे सभी समाधान
मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. रोहित गुप्ता ने बताया कि मरीजों को आहार और दवाओं के जरिए 4.7 से 5.4 किलोग्राम तक वजन कम करने में मदद मिली है। वहीं, डॉ. लोकेश अरोड़ा के मुताबिक, क्लिनिक के माध्यम से एक मरीज की बेरियाट्रिक सर्जरी सफलतापूर्वक की गई, जिससे उसने 5 महीनों में 24 किलोग्राम वजन घटाया और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से मुक्ति पाई।
नींद और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है असर
मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख प्रो. रवि गुप्ता ने बताया कि मोटापा स्लीप एपनिया, अनिद्रा और बाधित नींद चक्र जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। यह मानसिक विकार, थकान और कम उत्पादकता को बढ़ावा देता है।
मोटापा सिर्फ वजन बढ़ने की समस्या नहीं
मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. रविकांत के अनुसार, मोटापे का इलाज सिर्फ वजन घटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके लिए चिकित्सा उपचार, मानसिक स्वास्थ्य सहयोग, जीवनशैली परिवर्तन और सर्जिकल हस्तक्षेप की जरूरत होती है। एंडोक्राइनोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कल्याणी श्रीधरन ने बताया कि मोटापा और मधुमेह का गहरा संबंध है, जिससे हृदय संबंधी जोखिम बढ़ जाते हैं।
सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में नई तकनीक
सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के सहायक प्रोफेसर डॉ. लोकेश अरोड़ा ने बताया कि रोबोटिक बेरियाट्रिक सर्जरी ने मोटापे के इलाज में क्रांति ला दी है। यह न केवल वजन घटाने में सहायक है, बल्कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप और फैटी लीवर जैसी बीमारियों में भी सुधार लाती है।
हर शनिवार मिलेगी सुविधा
यह मल्टीडिसिप्लिनरी मेटाबोलिक हेल्थ और मोटापा क्लिनिक हर शनिवार गैस्ट्रोएंटरोलॉजी ओपीडी क्षेत्र, लेवल 3, ब्लॉक-सी में सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक संचालित होती है।
एम्स ऋषिकेश की यह पहल मोटापे से ग्रसित मरीजों के लिए एक नई उम्मीद बन रही है और आधुनिक चिकित्सा तकनीकों से मरीजों को स्वस्थ जीवन की ओर अग्रसर कर रही है।