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ऋषिकेश एम्स में मुंह के कैंसर की रोकथाम और उपचार पर मंथन

ऋषिकेश(अंकित तिवारी):  अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश में आयोजित दो दिवसीय सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम में देशभर के चिकित्सा विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस सीएमई का मुख्य उद्देश्य देश में बढ़ते मुंह के कैंसर के मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए इसकी रोकथाम और उपचार पर गहन विचार-विमर्श करना था।

एम्स ऋषिकेश के कान, नाक और गला (ईएनटी) विभाग, फोरेंसिक मेडिसिन विभाग और एनाटॉमी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सीएमई में विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों के विशेषज्ञों ने शिरकत की। “अपडेट्स इन ओरल कैंसर कम केडवेरिक डिसेक्शन वर्कशाप” विषय पर केंद्रित इस कार्यक्रम में मुंह के कैंसर से बचाव और इसके प्रभावी इलाज की रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा हुई।

संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह, डीन एकेडेमिक प्रोफेसर डॉ. जया चतुर्वेदी और चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्या श्री ने संयुक्त रूप से सीएमई का उद्घाटन किया। उन्होंने इस आयोजन को चिकित्सकों के लिए अत्यंत लाभकारी बताते हुए ओरल कैंसर के उपचार और जांच पर केंद्रित इस पहल के लिए ईएनटी विभाग की सराहना की।

कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष और एम्स ऋषिकेश के ईएनटी विभागाध्यक्ष प्रो. मनु मल्होत्रा ने कहा कि भारत में मुंह का कैंसर एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है। उन्होंने इस रोग से पीड़ित लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक व्यापक कार्ययोजना की आवश्यकता पर बल दिया।

सीएमई की आयोजन सचिव डॉ. मधु प्रिया ने कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी चिकित्सकों और शोधकर्ताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने मुंह के कैंसर के बढ़ते मामलों पर गहरी चिंता जताई और अप्रैल माह को ओरल कैंसर जागरूकता माह बताते हुए इस बीमारी के लक्षणों की पहचान और निरंतर जन जागरूकता अभियानों के माध्यम से रोकथाम के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में लगभग 200 कैंसर विशेषज्ञों ने भाग लिया और मुंह के कैंसर के इलाज की नवीनतम तकनीकों और अपने अनुभवों को साझा किया।

सीएमई में अमृता इंस्टीट्यूट कोच्चि के प्रो. दीपक बालासुब्रह्मणियम और टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई की प्रो. पूनम जोशी ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार रखे। उन्होंने हेड एंड नेक और ओंको सर्जरी विभागों के युवा चिकित्सकों को इस प्रकार के आयोजनों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि वे इस क्षेत्र में व्यावहारिक कौशल विकसित कर सकें।

इस दौरान संस्थान के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग और एनाटॉमी विभाग में केडवेरिक डिसेक्शन वर्कशॉप भी आयोजित की गई, जिससे युवा सर्जनों को शल्य चिकित्सा तकनीकों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त हुआ।

कार्यक्रम में युवा विद्यार्थियों और सर्जनों को प्रोत्साहित करने के लिए अवार्ड पेपर और ई-पोस्टर प्रस्तुतियाँ भी आयोजित की गईं। केडवेरिक डिसेक्शन वर्कशॉप के सफल संचालन में फोरेंसिक विभागाध्यक्ष प्रो. बिनाय कुमार बस्तिया, डॉ. रवि प्रकाश, मेशराम, एनाटॉमी विभाग के प्रो. मुकेश सिंगला, प्रो. रश्मि मल्होत्रा, डॉ. राजीव चौधरी, डॉ. राजू बोकन और कर्ण, नासा, शल्योपचार एवं कंठ, हेड-नेक सर्जरी विभाग से प्रो. मनु मल्होत्रा, डॉ. मधु प्रिया, डॉ. अमित कुमार त्यागी, डॉ. अभिषेक भारद्वाज और हेड-नेक ऑनकोलोजिस्ट डॉ. पल्लवी, डॉ. विक्रमजीत आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। आयोजन अध्यक्ष और आयोजन सचिव ने सीएमई को सफल बनाने में सहयोग करने वाले सभी रेजीडेंट चिकित्सकों और विभागीय कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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